मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

लेह में बादल फटा...

बेचैन नन्हा बच्चा, देख रहा आसमान है
घुमर-घुमर कर बादल आए, चेहरे पर मुस्कान है
क्या पता था काले बादल, बन गए शैतान हैं
बादल फटे,फटी आंखें, आया मौत का पैगाम है
बहे घर,बही सड़कें, सुनसान मैदान है
बेचैन नन्हा बच्चा,देख रहा आसमान है
किससे पूछे, किसे बताए,किसका उसे इंतजार है
कौन अपना,कौन पराया, सब मिट्टी में अवशान है
किसे पहचानूं, किसे नकारू,सब चेहरे समान हैं
बसा-बसाया गांव, बन गया श्मशान है
बेचैन नन्हा बच्चा,देख रहा आसमान है